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सुख और दुख यह जीवन की अवस्थाएं बताई गई हैं। सभी लोगों के जीवन में सुख और दुख आते-जाते रहते हैं। कोई नहीं चाहता कि उनके जीवन में कभी दुख आए या गरीबी से कभी भी उनका सामना हो। इस संबंध में आचार्य चाणक्य कहते हैं कि-
दरिद नाशन दान, शील दुर्गतिहिं नाशियत।
बुद्धि नाश अज्ञान, भय नाशत है भावना।।
दान से दरिद्रता या गरीबी का नाश होता है। शील या व्यवहार दुखों को दूर करता है। बुद्धि अज्ञानता को नष्ट कर देती है। हमारे विचार सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि कोई इंसान उसकी कमाई से कुछ हिस्सा दान करता रहे तो उसे कभी भी गरीबी का सामना नहीं करना पड़ेगा। व्यक्ति जो भी कमाता है, जो भी धन प्राप्त करता है उसमें कुछ भाग हमेशा ही जरूरतमंद लोगों की मदद में लगाना चाहिए, धार्मिक कार्य करना चाहिए। ऐसा करने पर हमारे पुण्य कर्मों की वृद्धि होती है जिससे महालक्ष्मी की कृपा सदैव हम पर बनी रहती है। इंसान के जीवन में काफी दुखों के कारण से उसके बुरे स्वभाव से संबंधित ही होते हैं। अत: अच्छे गुण और नम्र व्यवहार रखने से सभी लोगों से सुख प्राप्त होता है और दुख या कष्ट हमसे दूर ही रहते हैं। जो लोग नियमित रूप से भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं, धर्म ग्रंथ पढ़ते हैं, उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं वे ज्ञानी हो जाते हैं। उन लोगों की अज्ञानता नष्ट हो जाती है। साथ ही इन कार्यों से हमारे विचार भी शुद्ध होते हैं और जीवन-मृत्यु, सुख-दुख के सभी भय दूर हो जाते हैं।
दरिद नाशन दान, शील दुर्गतिहिं नाशियत।
बुद्धि नाश अज्ञान, भय नाशत है भावना।।
दान से दरिद्रता या गरीबी का नाश होता है। शील या व्यवहार दुखों को दूर करता है। बुद्धि अज्ञानता को नष्ट कर देती है। हमारे विचार सभी प्रकार के भय से मुक्ति दिलाते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि कोई इंसान उसकी कमाई से कुछ हिस्सा दान करता रहे तो उसे कभी भी गरीबी का सामना नहीं करना पड़ेगा। व्यक्ति जो भी कमाता है, जो भी धन प्राप्त करता है उसमें कुछ भाग हमेशा ही जरूरतमंद लोगों की मदद में लगाना चाहिए, धार्मिक कार्य करना चाहिए। ऐसा करने पर हमारे पुण्य कर्मों की वृद्धि होती है जिससे महालक्ष्मी की कृपा सदैव हम पर बनी रहती है। इंसान के जीवन में काफी दुखों के कारण से उसके बुरे स्वभाव से संबंधित ही होते हैं। अत: अच्छे गुण और नम्र व्यवहार रखने से सभी लोगों से सुख प्राप्त होता है और दुख या कष्ट हमसे दूर ही रहते हैं। जो लोग नियमित रूप से भगवान की भक्ति में लगे रहते हैं, धर्म ग्रंथ पढ़ते हैं, उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं वे ज्ञानी हो जाते हैं। उन लोगों की अज्ञानता नष्ट हो जाती है। साथ ही इन कार्यों से हमारे विचार भी शुद्ध होते हैं और जीवन-मृत्यु, सुख-दुख के सभी भय दूर हो जाते हैं।